तीन बूंदें बारिश की




मौसम 


मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी 
खो गए हम
यादों में तेरी 
खो गए हम
रंगों में कैसे बिखरा
फ़ूलों में कैसे निखरा 
तेरी अदाओं का 
बादल सुनहरा
तेरी अदाओं का बादल सुनहरा
मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी खो गए हम

खुशबू जो तेरी आए
सासों में समा जाए
एह्सास तेरा 
ईमान मेरा
एह्सास तेरा ईमान मेरा
मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी खो गए हम

मंजर बदल जाते हैं
रिश्ते भी धुल जाते हैं
लेकिन ना बदला
अंदाज़ तेरा
लेकिन ना बदला अंदाज़ तेरा
मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी खो गए हम

चलते चलते जानम
जलते बुझते हर पल
देखो कहां तक 
आ गए हम
देखो कहां तक आ गए हम
मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी खो गए हम

मौसम सुहाना ये मौसम
यादों में तेरी खो गए हम
यादों में तेरी खो गए हम


राही




न मुझे कुछ  पाना है
न कहीं मुझे जाना है
जहां पे मैं रुक जाऊँ 
वही मेरा ठिकाना है
राही मैं बस इक राही हूँ 
राही मैं बस इक राही हूँ  
 
ज़िन्दगी के खेलों में
रंग यूं बदलते हैं
होंठ जब हँसते हैं
आंसू भिगोते हैं
उजाले अंधेरों के
साए से डरते हैं
फ़िर भी लहरा के
आगे बड़ते  हैं
राही मैं बस इक राही हूँ 
राही मैं बस इक राही हूँ  

बरफ़ें पिघलती हैं
पानियों के रेले हैं
आसमां यूं झुकते हैं
बादलों के मेले हैं
ऐसे मे हम तुम क्युं
इतने अकेले हैं
बारिशों के मौसम में
चुप्पियों को झेलें हैं
राही मैं बस इक राही हूँ
राही मैं बस इक राही हूँ

मंजिलें सरकती हैं
कदमों की आह्ट से
सोचता हूँ रुक जाऊँ
पलकों की छाओं में  
लेकिन वो राहें 
मुझको बुलाती हैं
मेरे सपनो की 
धुन मुझे सुनाती हैं
राही मैं बस इक राही हूँ
राही मैं बस इक राही हूँ
न मुझे कुछ पाना है
न कहीं मुझे जाना है
जहां पे मैं रुक जाऊँ 
वही मेरा ठिकाना है
राही मैं बस इक राही हूँ 
राही मैं बस इक राही हूँ  


तलाश 




किसकी तलाश है मुझे 
ये मैं नहीं जानता
सोचा किया तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 

ढूंढा तुझे था बाहों में 
होठों की सुर्ख चाहों में 
उन शोख सी निगाहों में 
एहसास की पनाहों में
सुन ओ मेरी महजबीं 
सोचा किया तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 

फिर कश्मकश ऐसी चली 
कभी उस शहर 
कभी इस गली 
हर मोड़ पर हर राह पे 
सोचा किया तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 

पाईं कईं बुलंदियाँ 
मिली मुझको कामयाबियाँ 
गईं  ले बहा कर मुझे 
शोहरत की वो आँधियाँ 
चकाचौंध सी ये ज़िन्दगी 
सोचा किया तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 

काबा गया 
कलीसा गया
तेरा नाम ले 
मैं बिसर गया
इक आरज़ू 
इक कसक उठी 
सोचा किया तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 

फिर 
थक कर में यूँ बिखर गया 
की आँख बंद भीतर गया 
इक लौ ने दिल रोशन किया 
हौले से मुझको छू लिया 
जो न खत्म थी 
जो न है शुरू 
न कभी जली 
न कभी बुझी 
हर शख्स का वो आईना 
वही दिलरुबा 
वही महजबीं 

हाँ तू ही तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 
हाँ तू ही तू है वही 
जिसकी मुझे तलाश है। 







एक और दिल को छू लेनी वाली रचना 


Comments

  1. Wah wah sir!! Alfaz bht pyare hai! ☺️

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  2. Bahut acha laga Sir aapki kavitaiye padh ke. Likhte rahiye aur share karte rahiye.

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    1. Sure and thanks a lot Shalini. Nature as a subject for poetry always excites me. I believe that would be my next endeavor.

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  3. You are a true romantic at heart.
    Enjoyed each poetry.
    They are really nice

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    Replies
    1. Thank you so much Kavita ji.
      Romance turns things ordinary into things special.
      So, I do believe in the power of love and romance to transform the world.

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  4. बहुत खूब लिखा है। यूँही लिखते रहिए और चुनिंदा शब्दों को माला में पिरोते रहिए।

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    Replies
    1. Thank you so much Manish. Your comments are so lyrical.

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